अनुलोम-विलोम”

अनुलोम-विलोम



अनुलोम विलोम प्राणायाम  को नाड़ी (इड़ा, पिंगला और सुषुम्ना) शोधन प्राणायाम भी कहते हैं
नाड़ी = सूक्ष्म ऊर्जा प्रणाली; शोधन =सफाई, शुद्धि; प्राणायाम =साँस लेने की प्रक्रिया।
नाड़ियाँ मानव शरीर में सूक्ष्म ऊर्जा चैनल है जो विभिन्न कारणों से बंद हो सकती है। नाड़ी शोधन प्राणायाम साँस लेने की एक ऐसी प्रक्रिया है जो इन ऊर्जा प्रणाली को साफ कर सुचारु रूप से संचालित करने में मदद करती है और इस प्रकार मन शांत होता है। इस प्रक्रिया को अनुलोम विलोम प्राणायाम (नाड़ी शोधन प्राणायाम) कहते हैं ।

विष्णु मुद्राअनुलोम विलोम प्राणायाम करने का तरीका

चरण 1 एक चटाई पर सीधे बैठकर अपने दाहिने हाथ को विष्णु मुद्रा में ले जाएँ । (तर्जनी और मध्यमा को हथेली से पकड़ें और अपने अंगूठे को दूसरी उंगलियों से बढ़ाएँ) और बाएँ हाथ को ज्ञान मुद्रा में रखें । (अपनी तर्जनी की नोक को अपने अंगूठे की नोक को छूना चाहिए और तीन उंगलियां सीधी)

ज्ञान मुद्रा


चरण 2:- अपने दाहिने अंगूठे को अपने दाहिने नथुने पर रखें और अपने बाएं नथुने के माध्यम से गहराई से श्वास लें।

चरण 3:- अपने बाएं नथुने को छोटी और अनामिका की युक्तियों के साथ बंद करें और अपने दाहिने नथुने से साँस छोड़ें।

चरण 4:- अपने दाहिने ओर से श्वास लें। अंगूठे के साथ अपने दाहिने नथुने को बंद करें, बाएं नथुने से उंगलियां छोड़ें और अपने बाएं से साँस छोड़ें।
चरण 5:- इस तरह बारी-बारी से दोनों नासिका के माध्यम से साँस लेते हुए 9 राउन्ड पूरा करे। हर साँस छोड़ने के बाद याद रखें कि उसी नासिका से साँस भरे जिस नासिका से साँस छोड़ी हो। अपनी आँखें पूर्णतः बंद रखे और किसी भी दबाव या प्रयास के बिना लंबी, गहरी और आरामदायक साँस लेना जारी रखें।

अनुलोम विलोम प्राणायाम (नाड़ी शोधन प्राणायाम) के  लाभ
  1. मन को शांत और केंद्रित करने के लिए यह एक बहुत अच्छी क्रिया है।
  2. भूतकाल के लिए पछतावा करना और भविष्य के बारे में चिंतित होना यह हमारे मन की एक प्रवृत्ति है। नाड़ी शोधन प्राणायाम मन को वर्तमान क्षण में वापस लाने में मदद करता है।
  3. श्वसन प्रणाली रक्त-प्रवाह तंत्र से सम्बंधित समस्याओं से मुक्ति देता है।
  4. मन और शरीर में संचित तनाव को प्रभावी ढंग से दूर करके आराम देने में मदद करता है।
  5. मस्तिष्क के बाएँ और दाएँ गोलार्ध को एक समान करने में मदद करता है, जो हमारे व्यक्तित्व के तार्किक और भावनात्मक पहलुओं से संबंधी बनाता है।
  6. नाड़ियों की शुद्धि करता है और उनको स्थिर करता है, जिससे हमारे शरीर में प्राण ऊर्जा का प्रवाह हो।
  7. शरीर का तापमान बनाए रखता है।

अनुलोम विलोम प्राणायाम के लिए सावधानियां  

  • यदि आप एनुलोम विलोम करने में कोई असुविधा महसूस करते हैं तो सांस लेने की अवधि कम करें।
  • जिन लोगों की हाल ही में पेट की सर्जरी, ब्रेन सर्जरी या हार्ट सर्जरी हुई है, उन्हें इस प्राणायाम को करने से पहले विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए।
  • किसी भी प्राणायाम को जबरदस्ती न करें।