मांडूकासना (मेंढक मुद्रा)
मांडूकासना (मेंढक मुद्रा)
"मांडूकासना (मेंढक मुद्रा)"
मंडुका,
एक संस्कृत शब्द का अर्थ है 'मेंढक'। इस आसन में, अंतिम आसन मेंढक के आकार जैसा दिखता
है। इसलिए, इसका नाम मंडुकासन है।
मांडूकसना करने के लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें:
- वज्रासन में बैठें।
- मुट्ठी को अंगूठे से अंदर करें और नाभि के पास रखें और नाभि क्षेत्र को दबाएं।
- धीरे-धीरे साँस छोड़ें, कमर से आगे झुकें, छाती को नीचे करें, ताकि वह जांघों पर टिका रहे।
- सिर और गर्दन को ऊपर उठाकर सामने रखें।
- 5-10 सेकंड के लिए आराम से स्थिति बनाए रखें।
- मुद्रा जारी करने के लिए, ट्रंक को उठाकर बैठने की स्थिति में वापस आ जाएं; अपनी मुट्ठी नाभि क्षेत्र से हटाकर वज्रासन में बैठें।
निम्नलिखित बिंदुओं को याद रखें:
क्या करें?
- अंतिम स्थिति में सिर और गर्दन को ऊपर उठाकर रखें।
- सामने देखें।
- नाभि क्षेत्र पर दबाव डालें।
क्या न करें?
- क्षमता से अधिक झुकें नहीं।
- आगे झुकते समय शरीर को झटका न दें।
मांडूकसना से लाभ
- यह आसन भारी बेल, जांघ या कूल्हों वाले लोगों के लिए फायदेमंद है।
- यह पेट से गैसों को समाप्त करता है।
- यह कब्ज, मधुमेह और पाचन विकारों से पीड़ित लोगों को लाभ पहुंचाता है।
मांडूकसना की सीमा
- स्लिप्ड डिस्क, लम्बर स्पॉन्डिलाइटिस या रीढ़ की किसी अन्य बड़ी बीमारी से पीड़ित व्यक्ति को इस आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
नीचे कुछ महत्वपूर्ण आसन दिए गए हैं
मांडूकासना
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सर्वांगासन
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