"वृक्षासन"


वृक्षासन


वृक्षासन दो शब्दों से मिलकर बना है वृक्षा - वृक्ष; आसन - आसन या मुद्रा
यह आसन एक पेड़ के समान सुशोभित और उकसे स्थिर रुख की नकल करता है।  वृक्षासन में शरीर के संतुलन को बनाए रखने के लिए आँखों को खुला होना  आवश्यक होता  है।

वृक्षासन (ट्री पोज़) कैसे करें
  1. अपने पैरों को मिलते हुए खड़े हो और शरीर के किनारे हाथों को लंबा और सीधा रखें।
  2. अपने दाहिने घुटने को मोड़ें और दाहिने पैर को अपनी बाईं जांघ पर ऊपर रखें।
  3. पैर को जांघ  की और मजबूती से रखा जाना चाहिए।
  4. सुनिश्चित करें कि आपका बायाँ पैर सीधा रहे
  5. अपना संतुलन बनाये रखें।
  6. अच्छी तरह से संतुलित हो जाने के बाद, एक गहरी साँस लें, अपने हाथों को सिर के ऊपर उठाते हुए हथेलियों को नमस्तेमुद्रा (हाथों से मोड़ने की स्थिति) में साथ लाएँ।
  7. सामने किसी वस्तु पर एक स्थिर टकटकी लगाते हुए सीधे देखें।  यह स्थिति संतुलन बनाए रखने में मदद करती है।
  8. यह सुनिश्चित करें कि आपकी रीढ़ सीधी हो और आपका पूरा शरीर एक तना हुआ इलास्टिक बैंड की तरह होना चाहिए। लंबी गहरी सांसें लेते रहें और चेहरे पर एक सौम्य मुस्कान बनाएं रखें।
  9. साँस छोड़ते हुए धीरे से अपने दाहिने पैर को नीचे रखें और हाथों को भी नीचे की ओर लाएँ।
  10. आसन को शुरुआत में थोड़े समय ही करें। यदि आप का संतुलन बना रहे तो आप इसको अधिक समय तक भी कर सकते हैं।
  11. इस आसन को बाएँ पैर के साथ उपरोक्त विधि के अनुसार दोहराएं।


वृक्षासन



वृक्षासन के लाभ
  • यह आपके दिमाग और शरीर में संतुलन लाता है।
  • यह एकाग्रता में सुधार करने में मदद करता है।
  • यह पैरों को मजबूत बनाता है, संतुलन में सुधार करता है और कूल्हों को खोलता है। 
  • यह  साइटिका से पीड़ित लोगों के लिए लाभकारी हैं।
  • पैल्विक स्थिरता स्थापित करने में शरीर को सहायता करता है।


वृक्षासन



वृक्षासन करने के लिए सावधानियां
  • वृक्षासन संतुलन बनाने के लिए एक सरल योग मुद्रा है, इसको खुले स्थान पर करना चाहिए। जिससे अगर कोई गिर जाए तो चोट लगने का खतरा हो.
  • वृक्षासन का  अभ्यास गठिया और / या सिर का चक्कर के रोगियों को नहीं करना चाहिए।
  • मोटे लोगों को इस योग मुद्रा से बचना चाहिए या फिर प्रशिक्षक की देख रेख में करना चाहिए क्योंकि इसमें संतुलन पर ध्यान देने की आवश्यकता होती है।


नीचे कुछ महत्वपूर्ण आसन दिए गए हैं